“दोस्त हो तो दोस्त बनो”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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करो तुम दोस्ती मुझसे, सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको, मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
करो तुम दोस्ती मुझसे, सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको, मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
ललक है दोस्त बनने की, उसे अपना सदा समझो !
कभी भी जुड़ गए उनसे ,सदा स्वीकार ही कर लो !!
करो तुम दोस्ती मुझसे ,सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको ,मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
प्रसिद्धि मिल गई तुमको, वो तेरे कर्म का फल है !
बने तुम वीर योध्या तो, तुम्हारे तन में वो बल है !!
करो तुम दोस्ती मुझसे ,सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको ,मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
सुदामा कृष्ण के थे मित्र ,नहीं था उनमें कोई भेद !
किया है कार्य ही क्षण में ,नहीं था उनको कोई खेद !!
करो तुम दोस्ती मुझसे ,सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको ,मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
बहुत कम लोग है ऐसे ,सभी को अपना कहते हैं !
बने हैं दोस्त लोगों के , नहीं संवाद वो करते हैं !!
करो तुम दोस्ती मुझसे ,सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको , मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
वे अपने धुन के मालिक हैं, उन्हें अपना ही कहना है !
उन्हें लोगों से मतलब क्या? यशस्वी खुद को बनना है !!
करो तुम दोस्ती मुझसे ,सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको ,मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
नहीं भूलो कभी भी तुम ,सदा ही अपने लोगों को !
रहो जुड़के हमेशा तुम ,बने जब दोस्त लोगों के !!
करो तुम दोस्ती मुझसे ,सदा ही दोस्त ही रहना !
निभाना हो अगर तुमको ,मुझे तुम दोस्त ही कहना !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
18.04.2024