-दोस्त ही
आज मेरी आंखों से आंसू झलके,
देख मैं बोला,तुम क्यों झलके,
आंसू दुखी स्वर में मुझसे बोला
देखकर तेरा उदास दिल मैं रोया,
मैनै दिल पर हाथ रख पूछा,
रे दिल तू क्यों रोया??
दुःखी दिल धीमें से मुझको बोला
तुम परेशान थे ,हैरान थे,अपनी अनमोल दोस्ती के टूटने से,
जिस दोस्त पर तुझे नाज़ था,
वो मोहब्बत का हथियार ले आया,
कत्ल कर क़ातिल बन गया उस अनमोल दोस्ती का,
जो थी बरसों से चली आ रही,
सब को लुभा रही थी,
कीर्ति को पा रही थी,
मोहब्बत से दोस्ती का कत्ल हो गया
चंद दिनों में सब कुछ खत्म हो गया
दोस्त ही दोस्ती का क़ातिल बन गया।
दोस्त ही दोस्ती का क़ातिल बन गया।
– सीमा गुप्ता