दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
इस अनमोल बेमेल दोस्ती को
गणित के अंकों सा नहीं बल्कि
नेह के धागों से जोड़ना।
चल तो रही वषों से इसलिए
इसे मोहब्बत के तराजू में नहीं
प्रीत के पलड़ों में तोलना,
और हां,दिल से तो मत जोड़ना
जोड़ना तो इसे रूह से ही जोड़ना।
मोहब्बत में तो रिश्ते टूट जाते हैं,
अपने भी छूट जाते हैं।
नेह भरे, रूह से जुड़े
टूट कर भी नहीं टूट पाते हैं,
लगाव गहरा होता है
ना याद करने पर भी याद स्वत:आ जाते हैं।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान