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29 May 2022 · 1 min read

दोस्त और चाय

जम जाती है महफ़िल किसी शाम अब भी
यादें पुरानी फिर ताजा हो जातीं हैं अब भी
दोस्त और चाय के साथ ज़मानें की बातें
मगर सुकुन मिलता है हंसगुल्लों में अब भी
शिव प्रताप लोधी

Language: Hindi
73 Views
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