दोस्तों भरा दोस्ताना है
दोस्तों भरा दोस्ताना है
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आवाज दो तो हाजिर हैं
दोस्तों भरा दोस्ताना है
स्वार्थों से हो कर वो परे
निस्वार्थ प्रेम पुराना है
मंजिलें मिल ही जाती हैं
दोस्तों से भरा जमाना है
फ़लक की हम सैर करें
खुशियों भरा खजाना है
जाम प्रेम का खूब पियें
साकी हुआ दीवाना है
मित्रों से अंजुमन है सजे
खुदा का यह नजराना है
नीर खुशी के हैं बह रहे
हसीं बहुत ही नजारा है
उदासी में उर खिल उठे
यारियों का शुकराना है
फूलों भरा चमन है खिले
मौसम रंगीं सुहाना है
सुखविन्द्र है गौरवान्वित
शमां का वो परवाना है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)