दोस्ती
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दर्पण सम है दोस्ती, नहीं बोलता झूठ।
जीवन तन्हा सा लगे, गया दोस्त जब रूठ।। 1
मात-पिता, भाई – बहन, ये रिश्ते हैं खास।
लगे दोस्ती का मगर , एक अलग अहसास।। 2
सुनते ही जिस नाम को, खिले मधुर मुस्कान।
जिसे कृष्णा-सम दोस्त हो, मिले जगत सम्मान।।3
देन ईश की दोस्ती भरे दिलो में प्यार।
हर कोई इस बात को, कहाँ समझता यार।। 4
वो है सच्चा दोस्त जो, थामे रखता हाथ।
सुख चाहे दुख में रहो, देता हमदम साथ।। 5
पड़े नहीं कुछ सोचना , जब होती है बात।
हो जाते खुद ही बयाँ, दिल के सब हालात।। 6
कभी छिपा सकते नहीं, उससे कोई राज।
यहाँ दोस्त जैसा नहीं ,कोई भी हमराज।। 7
शब्द नहीं वो दोस्ती , बता सकूँ जो अर्थ।
बिना शर्त जो साथ दे, नहीं समझना व्यर्थ।। 8
????—लक्ष्मी सिंह