दोस्ती
उन्हें चांदी के बर्तनों में भी सुकूँ नही मिला
और हमने पत्तलें चाट चाट कर फेंक दी
वो कांटे छुरी से खाकर नींबू से हाथ धोते रहे
हमने उंगलियां अपनी चांटी और हाथ पोंछ लिए
चाट का मजा तो पत्तों के दोने में ही था
दही सोंठ का मजा तो उसे चाटने में ही था
वो रसगुल्ले को देख चुपचाप निकल गए
हमने साथ चलते चलते दो साफ कर दिए
कुल्फी को देखकर वो बस ठंडी आह भरते रहे
हमने आइस क्रीम के भी दो कप साफ कर दिए
खाओ पियो ऐश करो यही फंडा है अपुन का
मगर जिंदा दिली से जियो वो दोस्त है अपुन का
वीर कुमार जैन
25 जुलाई 2021