दोस्ती
हर बार की भांति इस बार भी परीक्षाएं समाप्त होने के उपरांत परिणाम निकलने के पश्चात यह पता चला कि राम और श्याम दोनों ही कक्षा में प्रथम श्रेणी में पास हुये हैं, क्योंकि इस बार राम की मेहनत और लगन को देखकर अध्यापक महोदय को पूर्ण विश्वास था कि इस वार हर हाल में राम ही कक्षा में प्रथम आयेगा | लेकिन ऐसा नहीं हुआ अध्यापक महोदय यह देखकर आश्चर्यचकित थे कि राम को सभी प्रश्नों के जबाब मालूम होते हुए भी उसने कुछ प्रश्नों के जवाब नहीं दिये | अध्यापक महोदय को इसका कारण जानने की जिग्यासा हुई काफी अथक प्रयास करने के बाद राम ने बताया कि हर बार की भांति इस बार भी श्याम कक्षा में प्रथम ही आता किन्तु उसकी माँ की तबीयत ठीक ना होने के कारण वह अच्छे से पढ़ाई नहीं कर सका | महोदय मुझे यह भी पूरी तरह से विदित है कि इस बार मुझे कक्षा में ऊपर उठने का पूरा मौका भी मिला किंतु इससे मेरे दोस्त को बहुत दु:ख होता इसलिए मैंने अपने कुछ प्रश्नों के जवाब अधूरे छोड़ दिये | महोदय मैं ये बिलकुल नही चाहता कि कक्षा का कोई भी विद्यार्थी मेरे दोस्त की मजाक बनाए | अध्यापक महोदय ने राम के मुख से जैसे ही ये बातें सुनी उनकी आँखे भर आंयी उन्होने कहा कि बेटा तुम्हारी इस उदारता ने तुम्हें कक्षा में ही नहीं अपितु कक्षा के बाहर भी ऊंचा उठा दिया है और तुमने यह सिद्ध कर दिया है कि #दोस्ती के आगे इन परीक्षाओं की अहमियत शून्य मात्र है |
” धीरेन्द्र वर्मा ”
मोहम्मदपुर दीना जिला-खीरी (उ.प्र.)