* दोस्ती *
मैं पाखी आकाश का
तू पाखी की डोर,
मैं प्यासा चातक प्रेम का
तू स्वाति घनघोर,
मैं तारक तम भोर का
तू विद् -प्रकाश की कोर,
मै सुदामा इस कलयुग का
तुम सब द्वापर के माखन चोर
मैं पाखी आकाश का
तू पाखी की डोर,
मैं प्यासा चातक प्रेम का
तू स्वाति घनघोर,
मैं तारक तम भोर का
तू विद् -प्रकाश की कोर,
मै सुदामा इस कलयुग का
तुम सब द्वापर के माखन चोर