दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
ग़ज़ल
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
उसके बदले लिखते थे चिट्ठी उसी के प्यार को।1
लौट कर जब खत में आते थे वो प्यारे से जवाब,
ऐसा लगता था कि तन मन दे दिया दिलदार को।2
तब कहां थे व्हाट्सप संदेश या फिर फेसबुक,
ख़त ही था इक मात्र जरिया प्यार के इज़हार को।3
जब कभी नाराज़ भी होना था खत में हो गये,
तब कहां मौके भी मिलते थे कभी तकरार को।4
उस समय आना व जाना था नहीं इतना सरल,
मिलने को जाते थे वो शनिवार या रविवार को।5
प्यार में होता था कुछ कुछ उनको, पर थे सब खुशी,
वो थी पाकीज़ा मुहब्बत दोस्तों के प्यार को।6
आजकल का प्यार ‘प्रेमी’ यार छीने यार से,
जान भी ले लें चलाकर बेझिझक हथियार को।7
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी