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28 Jul 2016 · 1 min read

दोस्ती पर लिखी आन्दित कर देने वाली चंद पंक्तियाँ

आज की कविता लीजिये आनन्द
एक सन्त ने कहा जब दो आत्माएं एक दूसरे के लिए होती है सती तो ही होती है दोस्ती ।
इसलिए मन किया दोस्ती पर एक रचना लिखी जाये और एक मित्र का भी आह्वान था कि आप दोस्ती पर लिखें कुछ तो पढ़िए
“दोस्ती ”
जिस नाम को सुनते ही आती है चेहरे पर ख़ुशी
वही तो होती है लाजवाब , मेरे जनाब दोस्ती
इसके किस्से इतिहासों में लाखों मिलते हैं
कृष्ण सुदामा सुनते भी कई चेहरे खिलते है
कुछ स्वरूप दोस्ती का आजकल बदल इस कदर गया
बलिदान से बदल हर दोस्त , चढ़ स्वार्थ की डगर गया
दोस्ती तो होता ही नाम कुर्बानी का
जो हो ऐसे , रखे याद जमाना उसकी बलिदानी का
अब तो लोग दोस्तों से व्यापार किया करते हैं
यार होकर अधिकतर यार मार किया करते हैं
वक़्त की सुनामी कब किसे बहा ले जाये क्या पता
दोस्त को दुःखी करने की न कर ये खता
दोस्त तो तेरे हर लम्हें में तेरी परछाई है
ये बात हर किसी के कहाँ समझ में आई है ।
दोस्ती है रहमत खुदा की , जिसने दिल से निभायी है ।
बताने दोस्ती की दास्ताँ , मलिक ने कलम चलाई है ।
परखो दोस्त को लाख बार , पर जब हो जाये विश्वास
फिर ना पीछे हटना उससे , बेशक खत्म हो जाये तेरे पूरे श्वास
बदलते वक़्त में बेशक राही ने ढलते जाना है ।
पर दोस्ती ने तो ऐसे ही चलते जाना है ।
दोस्ती ने तो ऐसे ही चलते जाना है।
आपका कृष्ण मलिक ©®

03.07.2016

Language: Hindi
1 Comment · 11028 Views
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