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13 Nov 2021 · 1 min read

दोस्ती दुश्मनी

** दोस्ती दुश्मनी से हारी**
*********************

दोस्ती दुश्मनी से हारी है,
भाग्य कर्म पर भी भारी है।

करता सदा सेवा जो सबकी,
लगता उन्हीं की ही बारी है।

फैला जहर मन में कैसा है,
फैली घिनौनी बीमारी है।

है लोभ के पीछे-पीछे सारे,
लो भागती जनता सारी हैं।

कैसे कहे हारा मनसीरत,
अब चोट उर में ही मारी है।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

526 Views
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