दोस्ती के लिए मै रुका रह गया ।
@ ग़ज़ल।दोस्तों के लिये मै रुका रह गया ।@
दोस्तों के लिये मै रुका रह गया ।
अश्क़ आंखों मे मेरे छुपा रह गया ।।
इश्क़ मे बेक़सी की हवा के लिए ।
एक अर्से से पाता सज़ा रह गया ।।
इश्क़ को जुस्तजू रास आयी नही ।
लाख़ चाहा मग़र फ़ासला रह गया ।।
लफ्ज़ होठों पर आकर रुके से रहे ।
राज़ दिल का दिलों मे छुपा रह गया ।।
सबको तौफा मिला दोस्ती का यहाँ ।
दोस्त ख़ामोश दिन देखता रह गया ।।
साथ जत्था चला काफ़िलों का मिरे ।
पर अकेला यहाँ हर दफ़ा रह गया ।।
सिर्फ़ तन्हा मिला ज़िन्दगी मे मुझे ।
दर्द ही एक रकमिश, दवा रह गया ।।
राम केश मिश्र