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17 Nov 2018 · 1 min read

दोस्ती का स्वरूप

मन फिर से बचपन के दिनो मे, खोने वाला है,
दोस्ती का पर्व जो आने वाला है।
यार दोस्तो के साथ जुड़ेगी, महफिले अपनी,
याद आ जाऐगी फिर से, बचपन की साथिनी॥

मिलकर करेंगे सजदा, बचपन के यार को,
याद करेंगे दोस्त के, पहले दिदार को।
उस वक्त से आज तक का, सफर दौहराऐंगे,
बचपन की दोस्ती को, वजूद मे लेकर आऐंगे॥

यार को देखते ही, गले से लगाऐंगे,
गाली निकाल कर, दोस्ती का फर्ज भी निभाऐंगे।
बोतलो से उनकी, फिर से पहचान कर करवाऐंगे,
यारो, पहली गलतियो के दिन, वापस आऐंगे॥

घूमने जाने का प्रोग्राम, जरूर कोई बनाऐंगे,
”कैंसल” का इंजाम, एक दूसरे पर लगाऐंगे।
होटल की चाय के लिए, सब एक हो जाऐंगे,
मिलकर चाय बिस्कूट की, जराफत उड़ाऐंगे॥

ऐसी ही यादो से, दोस्ती का पर्व मनाऐंगे,
इस फ्रैंडशिप ड़े को, यादो मे अमर कर जाऐंगे।
ऐसे ही दोस्तो, सब मिलते रहना,
कभी भी एक दूसरे को, ”अलविदा ना कहना”॥

आपका अपना
लक्की सिंह चौहान

Language: Hindi
1 Like · 295 Views
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