दोस्ती का तराना
चेहरे की रंगत इनसे ही आया करती थी ,
आंखे ख्वाबों की दुनिया इनसे पाया करती थी।
बँधी हुई जिन्दगी में आजादी इनसे आया करती थी,
जीवन की थकान इनसे मिलकर भाग जाया करती थी।।
मिलने पे हमेशा मुस्कराहट लौट आया करती थी,
बातों के सिलसिलों से महफिल सजा करती थी ।
जीवन के माहौल में खुशबू सी छाया करती थी,
मौसम में मस्तानगी इनसे ही आया करती थी।।
गैरों से अपनेपन की भावना इसने जागृत होती थी,
इनसे ही खूबसूरती, जीवन में खूब सजा करती थी।
बचपन की ताजगी इनके साथ ही छाया करती थी,
रोते हुए चेहरे में हंसी इनके साथ ही आया करती थी।।
अच्छे या हों बुरे,अपने हालात बताया करते थे,
कुछ बात बताया करते थे कुछ बात सुनाया करते थे।
बिना कस्मों के रस्में निःस्वार्थ निभाया करते थे,
भरोसे की ताकत हमेशा यही बढ़ाया करते थे।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि