दोस्ती कर लें चलो हम।
तुम भी घायल हो गये हो
हम भी घायल हो गये हैं ।
ज़ख्म भरने तक सही ही
दोस्ती कर लें चलो हम।।
सदियों से हम बेवजह ही लड़ रहे हैं मर रहे हैं।
जो न करना चाहिए शायद वही हम कर रहे हैं।।
लाल मेरा है हरा तेरा है ये किसने सिखाया।
बीज नफरत का जहन में बेवजह ही भर रहे हैं।।
तुम भी शायद थक गए हो
हम भी शायद थक गए हैं।
रक्त भरने तक सही ही
दोस्ती कर लें चलो हम।।
कुछ भी कर लो चाहे लेकिन रहना हमको साथ ही है।
हो किसी की भी कहानी कहना हमको साथ ही है।।
एक ही पुरखे हैं तेरे मेरे कैसे बाँटे उनको।
जिन्दगी में आये सुख-दुख सहना हमको साथ ही है।
दिल हमारा भी दुखा है
दिल तुम्हारा भी दुखा है।
मुस्कुराने तक सही ही
दोस्ती कर लें चलो हम।।
है बड़ा नुकसान तेरा भी तो मेरा भी हुआ है।
घर हुआ शमशान तेरा भी तो मेरा भी हुआ है ।।
कब तलक कल क्या हुआ ये सोचकर जीते रहेंगे।
जो हुआ जब भी हुआ तेरा तो मेरा भी हुआ है।।
घर हमारा भी है उजड़ा
घर तुम्हारा भी है उजड़ा।
घर बनाने तक सही ही
दोस्ती कर लें चलो हम।।
जो हुआ सो हो गया सब छोड़कर आगे बढ़े हम।
नफ़रतों के साये से मुँह मोड़कर आगे बढ़े हम।।
हैं सभी संतान माता भारती के साथ मिलकर।
राष्ट्र हित एक दुसरे को जोड़कर आगे बढ़े हम।।
तुम भी शायद पक गए हो
हम भी शायद पक गए हैं।
देश के खातिर सही ही।
दोस्ती कर लें चलो हम।।
प्रभु नाथ चतुर्वेदी ” कश्यप “