दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
किसने उनको पढ़ाया बताओ ज़रा।
नाम फीका प्रखर झूंठी शोहरत रही ,
किसने हमसे छिपाया बताओ ज़रा।
दुःख के बादल छटेंगे बताए थे तुम,
आस किसने जगाया बताओ ज़रा ।
ताज पोशी किए तख्त मसनद हुए,
जाल किसने बिछाया बताओ ज़रा।
झूंठ का जो बवंडर उठा इस क़दर,
किसने साजिश रचाया बताओ ज़रा।
हो गए दर बदर सांस आफ़त फंसी,
हमको किसने फंसाया बताओ ज़रा।
राह उसने चली अब तलक सब गलत ,
राह किसने सुझाया बताओ ज़रा।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘