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9 Sep 2022 · 2 min read

“दोषी है कौन”?

वक्त के साथ-साथ आपकी समस्याएं छोटी होने लगती है , यह बात उतनी ही हास्यास्पद है , जितनी कि सुबह सूरज को पूरब दिशा में और शाम को पश्चिम दिशा में देखकर कुछ लोगों का यह मान लेना कि सूरज में गति है, जबकि गति तो पृथ्वी में है, ठीक उसी प्रकार आपकी समस्या छोटी नहीं होती बल्कि वक्त के साथ हमारा दृष्टिकोण गतिशील बना रहता है।
जैसा कि मैंने कहा “दोषी है कौन”? इस बात का पता लगाना बेहद मुश्किल तब हो जाता है जब आप अपने अंदर के अहम को भरपूर पोषण देते हैं। मैंने अपने विवाह के शुरुआती दिनों में घर में हो रहे मनमुटावों के दौरान इस सवाल का जवाब सदैव ढूंढना चाहा कि “दोषी है कौन”? आपके शुभचिंतक सदैव आपके प्रतिद्वंदी को दोषी ठहराएंगे तो आपको नापसंद करने वाले आत्मदर्शन की भी सलाह देंगे किंतु यह सवाल फिर भी अनसुलझी पहेली की तरह बना ही रहेगा कि “दोषी है कौन”?
इस सवाल का जवाब ना ढूंढ पाने की वजह से कितने ही दांपत्य जीवन बर्बाद हो गए हैं , तो और कितने ही बर्बादी के कगार पर खड़े हैं , नवविवाहिता जोड़ियों के समक्ष अगर यह सवाल अपना रंग दिखाने लगे तब फैसला जल्दबाजी में करना समस्याओं को खत्म करना नहीं बल्कि समस्याओं को जन्म देना कहलाएगा।
आप चाहे कितने ही बड़े बुद्धिजीवी क्यों न हो जाए यदि आप ऐसा सोचते हैं कि इस सवाल का हल अपने जीवनसाथी को बदलने में है तो यह सिर्फ और सिर्फ आपकी नासमझी होगी।जिस प्रकार आप अपने कपड़े बदलते हैं, अपना मन नहीं उसी प्रकार आप अपना साथी ही बदल सकते हैं उनकी जाति नहीं।
साथी बदलकर कुछ पलों के लिए भले ही आप शांति से जिए और स्वयं को जीता हुआ खिलाड़ी महसूस करें किंतु बाद में फिर वही समस्या आ खड़ी होगी कि “दोषी है कौन”?
जैसे नया जूता लगातार कुछ दिनों तक आपके पैरों को जख्मी करता है किंतु जूता बदलना समस्या का समाधान नहीं , ठीक वैसे ही नया रिश्ता कुछ वर्षों तक लगातार आपके दिल को जख्मी करता रहता है किंतु आवेश में आकर अपने अहम की रक्षा के लिए, तुच्छ लालसाओं की पूर्ति के लिए साथी बदल लेना, आपकी महज एक भूल होगी, और कुछ नहीं! क्योंकि आपकी इन सभी नासमझियों के बाद भी यह सवाल सदैव बना ही रहेगा कि “दोषी है कौन”?

आपका रिश्ता चाहे किसी के साथ भी क्यों ना कर दिया गया हो यदि आपका अपना निजत्व बना रहे , मन की स्वच्छंदता बनी रहे तो यह सवाल आपका पीछा छोड़ देगी कि “दोषी है कौन”?
तो दोस्तों…. आपकी वैचारिक स्वतंत्रता से बढ़कर कुछ नहीं आपका सही दृष्टिकोण ही आपकी सभी समस्याओं को खत्म कर देगा, प्रत्यक्ष रूप से भी तथा अप्रत्यक्ष रूप से भी यह सवाल फिर कतई आपके सामने ना आएगा कि “दोषी है कौन”?

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