*दोषी कौन ?*
दोषी कौन ?
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विद्यालय निरीक्षक द्वारा अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यो तथा प्रबंधकों की एक संयुक्त बैठक चार अगस्त दो हजार बाईस को आयोजित की गई ।
इसमें अन्य बातों के अलावा निरीक्षक महोदय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जनपद में एक सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय ऐसा भी है जिसमें सरकार का प्रति छात्र बीस हजार रुपए मासिक अर्थात दो लाख चालीस हजार रुपए प्रतिवर्ष खर्च आ रहा है । यह खर्च विद्यालय की छात्र संख्या और विद्यालय को वेतन वितरण के लिए दी जाने वाली धनराशि की गणना के आधार पर संभवतः निर्धारित किया गया था । सुनकर सभी आश्चर्यचकित रह गए ।
जिला विद्यालय निरीक्षक महोदय की चिंता सर्वथा उचित है। किंतु प्रश्न यह है कि 1971 में वेतन वितरण अधिनियम लागू करने के बाद पिछले 50 वर्षों में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की दुर्दशा के लिए दोषी कौन है ? प्रबंधक, प्रधानाचार्य, अध्यापक, छात्र, अभिभावक, मंत्री, विधायक, सरकारी अधिकारी अथवा स्वयं शिक्षा का दुर्भाग्य ?
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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