दोनों मिलकर रो पड़े
दोनो मिलकर रो पड़े,वहाँ पकड़ कर हाथ !
जहाँ मिली इंसानियत, मज़हब आये साथ !!
गलती को अपनी स्वयं,किया अगर स्वीकार !
इसे जीत ही मानिए, … .नही समझना हार !!
रमेश शर्मा
दोनो मिलकर रो पड़े,वहाँ पकड़ कर हाथ !
जहाँ मिली इंसानियत, मज़हब आये साथ !!
गलती को अपनी स्वयं,किया अगर स्वीकार !
इसे जीत ही मानिए, … .नही समझना हार !!
रमेश शर्मा