दोजख की आग
खुदा को जो नहीं मानते आज के इंसान ,
तो उससे खौफ कैसे खायेंगे ?
जिस्म को ही अपनी पहचान समझ बैठे,
रूह की हैसियत को क्या मानेंगे ।
गुनाहों और हवस के दलदल में ऐसे डूबे हुए हैं ,
अपना अंजाम कहां देख पाएंगे ?
आयेगी एक दिन जरूर कयामत ,तुम देखना,
दोजख की आग में सभी जलाए जाएंगे ।