Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2024 · 1 min read

“दोचार-आठ दिन की छुट्टी पर गांव आए थे ll

“दोचार-आठ दिन की छुट्टी पर गांव आए थे ll
हम नौकर छुट्टियां इकट्ठी कर गांव आए थे ll

पत्नी रूठी हुई थी, और बच्चे मान नहीं रहे थे,
हम उन्हें लेकर मगर उनसे कट्टी कर गांव आए थे ll

परदेश में बसने वाले तो त्योहार पर भी नहीं आते,
अंतिम बार वो अपने पिता की मट्टी पर गांव आए थे ll

दिल और दिमाग दोनों चूर-चूर थे काम करते करते,
हम बेचारे जैसे-तैसे मरहम पट्टी कर गांव आए थे ll

सिर्फ हम जानते हैं क्या-क्या छीना है शहर ने हमसे,
गांव वाले समझ रहे थे हम तरक्की कर गांव आए थे ll”

36 Views

You may also like these posts

विवशता
विवशता
Shyam Sundar Subramanian
You may not get everything that you like in your life. That
You may not get everything that you like in your life. That
पूर्वार्थ
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
Sunil Maheshwari
*मन का मीत छले*
*मन का मीत छले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कलेजा फटता भी है
कलेजा फटता भी है
Paras Nath Jha
*Blessings*
*Blessings*
Veneeta Narula
अपूर्ण नींद एक नशे के समान है ।
अपूर्ण नींद एक नशे के समान है ।
Rj Anand Prajapati
शब की ख़ामोशी ने बयां कर दिया है बहुत,
शब की ख़ामोशी ने बयां कर दिया है बहुत,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आप जिंदगी का वो पल हो,
आप जिंदगी का वो पल हो,
Kanchan Alok Malu
टूट जाते हैं
टूट जाते हैं
Dr fauzia Naseem shad
आकलन
आकलन
Mahender Singh
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
खंजर
खंजर
Kshma Urmila
4789.*पूर्णिका*
4789.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वंदन हमारा
वंदन हमारा
Ravi Yadav
गीत- अदाएँ लाख हैं तेरी...
गीत- अदाएँ लाख हैं तेरी...
आर.एस. 'प्रीतम'
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
परिणाम विश्लेषण, (घनाक्षरी छंद)
परिणाम विश्लेषण, (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः।
असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
"रहबर"
Dr. Kishan tandon kranti
शक
शक
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
U888
U888
u888tube
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
डॉ. एकान्त नेगी
25 , *दशहरा*
25 , *दशहरा*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
यूनिवर्सिटी के गलियारे
यूनिवर्सिटी के गलियारे
Surinder blackpen
पात्रता
पात्रता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
Ranjeet kumar patre
I've lost myself
I've lost myself
VINOD CHAUHAN
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
शेखर सिंह
Loading...