दे विदा ऐ ज़िंदगी!!
तेरे हर पल पल के प्याले, ले घूंट घूंट कर पिया,
कड़वाहट भरे स्वाद झूठे, चासनी से भर लिया।
तीखे मीठे नोक झोंक में, देख थमी आवारगी,
हो गया हो वक़्त तो अब, दे विदा ऐ ज़िंदगी।।
उबड़ खाबड़ आड़े तिरछे, अज़ब गज़ब तेरे रास्ते,
कहीं चढ़ाई कहीं फिसलन, कब तलक सम्भालते।
रिस्तों की गठरी ले सर बड़ी, झेल ली शरमिंदगी,
हो गया हो वक़्त तो अब, दे विदा ऐ ज़िंदगी।।
कई अनोखी बातें सीखी, कई सबक लिए बांध के,
फेंका तूने नित नए जाने, कितने पासे साध के।
फिर भी थामें साँस की डोरी, आस से करी बन्दगी,
हो गया हो वक़्त तो अब, दे विदा ऐ ज़िंदगी।।
थक गया हूँ मैं बहोत, आराम करना चाहता हूँ,
अनुमति दे अब जरा, बिश्राम करना चाहता हूँ।
कर सुनिश्चित दे समय तय, लिख मेरी रवानगी,
हो गया हो वक़्त तो अब, दे विदा ऐ ज़िंदगी।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०२/०७/२०२१)