दे रही हैं गवाही
दे रही हैं गवाही
मेरा जिक्र होने पर
नहीं छुपा पाते
अपनी छटपटाहट
अपनी तिलमिलाहट
अपना भड़कना
अपना गुस्सा
ये सब
दे रहे हैं गवाही
कि तुम मुझे
नहीं छोड़ पाए हो
अभी तक
भले ही
लाख ऐलान करो
मुझे छोड़ने का
लेकिन तुम रहते हो
मेरे आस-पास
यहीं कहीं
-विनोद सिल्ला©