दे दो
रोड निर्माण के अप्रत्याशित विकासी पहिए के नीचे जीवन त्याग देने वाले पीड़ित परिवारों की एक आवाज़ –
ले जाओ सुंदर सड़कें समेट कर
हमें गड्ढे वाली सड़कें दे दो
जीवन में गड्ढा होने से बेहतर
सड़कों में असीमित गड्ढे दे दो
पथ के निर्माण में विकास सुस्त
कागज में वैसे सबकुछ दुरुस्त
मलाई से घी -ए – चिरंजीवी निकले
खाए ठेकेदारों की कइयों पुश्त
कमीशन फेको कोई भईया
विकास गति फिर अड़के लेलो
ले जाओ सुंदर सड़कें समेट कर
हमें गड्ढे वाली सड़कें दे दो
जीवन में गड्ढा होने से बेहतर
सड़कों में असीमित गड्ढे दे दो
विकास हताश हुआ जबसे
ठिठक के चलता है तबसे
इसे दवा मिले फुर्ती की अब
ये जनता दुआ करे रब से
अगर मूर्छा – वूर्छा आई हो उसे
तो अधिक बोल्ट के झटके दे दो
ले जाओ सुंदर सड़कें समेट कर
हमें गड्ढे वाली सड़कें दे दो
जीवन में गड्ढा होने से बेहतर
सड़कों में असीमित गड्ढे दे दो
गति की गति के बाधक गति ने
समझौता किया मानों विपति से
ले लेती लील घर के चिराग को
ठेकेदार, शासन की सम्मति से
हे विकास परक हाई -वे के अंग
जिनके छीने उनके टुकड़े दे दो
ले जाओ सुंदर सड़कें समेट कर
मुझे गड्ढे वाली सड़कें दे दो
जीवन में गड्ढा होने से बेहतर
सड़कों में असीमित गड्ढे दे दो
-सिद्धार्थ गोरखपुरी