Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2016 · 2 min read

दे ताली —गीत—डी. के. निवातिया

दे ताली ……………

वो क्या जाने मोल दाल भात का,
जिनके घर रोज़ बनती मेवे की तरकारी
नाश्ता होता जूस और फल से
खाने में बनती हो हर रोज़ बिरयानी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

जिसने ने जानी किसान की मेहनत
कैसे चलती है गरीबो की जिंदगानी
वो क्या जाने सुगंध मिटटी का,
जिसने खुले आकाश में न जींद गुजारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …..!!

क्या लेना दुनियादारी से
जिनके आगे पीछे लगी चमचो को लारी
नेताजी का ताज पहनकर
शान से निकलती है उनकी तो सवारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

जिनको जनता ने समझा काबिल
बैठकर संसद में वो बकते है गन्दी गाली
उस घर की हिफाज़त हो कैसे
जब रक्षक ही बन बैठे गुंडे और मवाली !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

वो क्या जाने दर्द किसी का
पीढ़ी दर पीढ़ी जिसने ऐश में गुजारी
मरे किसी का लाल भले ही,
उन तक तो पंछी ने कभी पर न मारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

एक साथ बैठकर दावत उड़ाते
मज़े से मनाते रोज़ ईद और दिवाली
झूठ की थाली के है वो चट्टे बट्टे
दूजे को चोर बताकर, खूब बटोरेते है ताली !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

वो क्या जाने दुःख टूटी मड़ैया के,
महलो में हो जिसने अपनी राते गुजारी,
मखमल और फूलो में बीते जिंदगी
चिता में भी लगती घी चन्दन की चिंगारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

कोई श्वेत कोई भगवा धारण कर
समाज में फैलाते नफरत की चिंगारी
फिर घर में बैठ वो देखे तमाशा
जब आपस में लड़ती है ये जनता बेचारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

बात न पूछो संत फकीरो की,
जो बन बैठे है आज मुखोटा धारी
झूठ मूठ के फैलाये तंत्र मन्त्र
डरकर सेवा में तत्पर रहते कोटि नर और नारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

कोई भूखा तरसता दो टूक को
कही पकवानो से होती है रोज़ा इफ्तारी
कही सड़को पे घूमे बच्चे नंगे
किसी की पोशाकों से भरी अलमारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

देश की रक्षा लगी दांव पर
आतंक को भेंट चढ़ते बच्चे, बूढ़े नर – नारी
घर का भेदी जब लंका ढहाये
फिर औरो को हम क्यों बकते है गाली !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

नारी सम्मान पर देते जो भाषण
कहलाने को जग में सबसे बड़े संस्कारी
पीड़ित होती उनके हाथो अबला,
अस्मित लूटते निशदिन बनकर व्यभिचारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!

वाह रे दाता, वाह रे मौला,
बहुत देखी दुनिया में तेरी कलाकारी
किसी को फूलो का ताज बख्शा
किसी की सारी उम्र फुटपाथ पे गुजारी !!

दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …..!!
दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …..!!
दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्््..!!

!

[__@__[[ डी. के. निवातिया ]]__@__]
******************************************

Language: Hindi
Tag: गीत
632 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
"म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के"
Abdul Raqueeb Nomani
*****राम नाम*****
*****राम नाम*****
Kavita Chouhan
*हृदय की वेदना हर एक से कहना नहीं अच्छा (मुक्तक)*
*हृदय की वेदना हर एक से कहना नहीं अच्छा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
खेतों में हरियाली बसती
खेतों में हरियाली बसती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
3140.*पूर्णिका*
3140.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रभु ने बनवाई रामसेतु माता सीता के खोने पर।
प्रभु ने बनवाई रामसेतु माता सीता के खोने पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिव - दीपक नीलपदम्
शिव - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जो माता पिता के आंखों में आसूं लाए,
जो माता पिता के आंखों में आसूं लाए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
नरभक्षी_गिद्ध
नरभक्षी_गिद्ध
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
Vishal babu (vishu)
तुझसे कुछ नहीं चाहिये ए जिन्दगीं
तुझसे कुछ नहीं चाहिये ए जिन्दगीं
Jay Dewangan
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
शेख रहमत अली "बस्तवी"
कवि की लेखनी
कवि की लेखनी
Shyam Sundar Subramanian
बरखा रानी
बरखा रानी
लक्ष्मी सिंह
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
कविता: स्कूल मेरी शान है
कविता: स्कूल मेरी शान है
Rajesh Kumar Arjun
प्यारी सी चिड़िया
प्यारी सी चिड़िया
Dr. Mulla Adam Ali
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
Bhupendra Rawat
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
प्यार
प्यार
Anil chobisa
आ ठहर विश्राम कर ले।
आ ठहर विश्राम कर ले।
सरोज यादव
Kuch nahi hai.... Mager yakin to hai  zindagi  kam hi  sahi.
Kuch nahi hai.... Mager yakin to hai zindagi kam hi sahi.
Rekha Rajput
पुरुष_विशेष
पुरुष_विशेष
पूर्वार्थ
■ प्रयोगात्मक कवित-
■ प्रयोगात्मक कवित-
*Author प्रणय प्रभात*
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
Radha jha
"जल"
Dr. Kishan tandon kranti
फागुन की अंगड़ाई
फागुन की अंगड़ाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Loading...