देह अधूरी रूह बिन, औ सरिता बिन नीर । देह अधूरी रूह बिन, औ सरिता बिन नीर । गुरु बिन इस संसार में, मानव सहता पीर ।। ✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”