देहाती
सीधे साधे लोग देहाती होते हैं बड़े परिश्रमी
भोली भाली सूरत होती नहीं होते हठधर्मी
सादा खाना पीना पहरावा मीठी होती बोली
सादा रहन सहन है होता करते खूब ठिठोली
संग साथ रहते मिलजुल कर,होते हैं सहयोगी
जब आपदा आन पड़ती हल करते बन टोली
दुख सुख में साथ देते बन जाते हैं दुखभंजन
खुशी सुख के जो पल होते मनाते अभिरंजन
कृषि पशुधन मजदुरी होते स्त्रोतआय अर्जन
धुर्तता बेईमानी कपट से नहीं करते धनार्जन
लुहार सुनार खाती सब ईमान से काम करते
दिन भर श्रम से अर्जन करते, संतुष्ट हैं रहते
बेटी बहन औरत की इज्ज़त दिल से करते
महिलाएं देहाती नर संग कठिन श्रम करती
घर द्वार हैं संभालती,मर्यादित संयोजित रहती
निज सीरतों हया से कुल मान सम्मान बढाती
जो बात होती दिल में वही होती है मुख पर
पीठखंजर नहीं घोपतेंत, जो करें वो मुख पर
छोटों को है प्यार करते बड़ों का करते आदर
सबका सम्मान करते ,नहीं करते हैं निरादर
साग सब्जी फल अन्न सब घर पर ही बीजते
खेतों में अन्न पैदा करते,सारे जग को पालते
किसान और जवान,शोभा बढाते हैं देश की
दोनों हैं देहाती तन मन से सेवा करें देश की
ग्रामीण आँचल मृत्तिका में फलते फूलते हैं
कसरतें कुश्ति करते हैं,देहाती खेल खेलते हैं
रज में ही खेल कूद कर सदा आगे बढते हैं
घी दूध दही मक्खन सेवन से हस्ठपुष्ठ होते हैं
जी तोड़ मेहनत करके खूब उन्नति करते हैं
हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहराते हैं
दिल जान से बड़े बुजर्गों की सेवा करते हैं
सिहं सा होंसला होता,हर जीत को जीतते हैं
कैसी भी हो परिस्थिति गरजते हैं ,बरसते हैं
मुझे निज गर्व अनुभूति मै भी हूँ कट्टर देहाती
कोई देखूँ जो देहाती मन भाव जगाती देहाती
सुखविंद्र सिहं मनसीरत