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20 Oct 2023 · 1 min read

#देसी_ग़ज़ल / #नइयां

#तेवरी
■ जानी ही है आनी नइयां।।
(चोर कम्पनी और संरक्षक तंत्र में शामिल सफेदपोशों के नाम जनाक्रोश की मुखर अभिव्यक्ति)
【प्रणय प्रभात】

● बिजली मैया आनी नइयां।
पीवे तक को पानी नइयां।।

● दिन पहले से झुलस रहे हैं।
रातें तलक सुहानी नइयां।।

● ना बारिश, ना झूले दीखें।
मुट्ठी में गुड़-धानीं नइयां।।

● बिल पूरा पर पावर आधा।
बोलो ये मनमानी नइयां?

● ज़ोरो का झटका धीरे से।
ये हरकत तूफ़ानी नइयां?

● लतिया के बैठी है जनता।
ज़्यादा बात पुरानी नइयां।।

● चोर-लुटेरे दिन में लूटें।
मुखिया की नादानी नइयां?

● जित्ते समझदार सब माने।
बात मेरी बचकानी नइयां।।

● मेरा सच हिंदुस्तानी है।
अफ़गानी, ईरानी नइयां।।

● लू उतार देते सब मिल के।
खैर मना जो ठानी नइयां।।

● शकुनी जैसी कुटिल झाँसेबाज़ी।
अब काहू को भानी नइयां।।

● जा सूरत के बल पे सत्ता।
जानी ही है आनी नइयां।।
(आख़िरी शेर ज़हन में बिठा लें बस। शुक्रिया)

■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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