देश
चन्दन ओ अबीर है माटी मेरे देश की
कंचन सी ज़हीर है माटी मेरे देश की
गीता ओ क़ुरान जहाँ ईसा दशमेश भी
ऐसी बेनज़ीर है माटी मेरे देश की ,,,
वन्दे मातरम कहा तोप के भी सामने
हिंद का जयकार किया मिल के नर नार ने
हँस के जवानों ने जान अपनी पेश की
वीरों का ज़मीर है माटी मेरे देश की ,,,
न छल बल खल से खलल कोई डालना
पल में कुटिल को कुचल के है डालना
हमें है खबर सब तेरे छद्म वेश की
लक्ष्मण की लकीर है माटी मेरे देश की ,,,
अस्मिता अखंड हो न देश खंड खंड हो
अधर्म न पाखंड हो न हिंसा ही प्रचंड हो
आतंकियों का देश में बचे न अवशेष भी
संतों की कुटीर है माटी मेरे देश की ,,,
पाप अत्याचार की दुराव व्यभिचार की
आती है हमें भी विधि इनके उपचार की
करें प्रतिकार पल में देरी न हो लेश भी
ऐसी शमशीर है माटी मेरे देश की ,,,
धर्म भाषा पंथ भले देश में अनेक हैं
भिन्नता में एकता की भावनाएं नेक हैं
विष वल्लरी न उगे हिंसा क्लेश द्वेष की
तुलसी ओ कबीर है माटी मेरे देश की
गौरव की प्राचीर है माटी मेरे देश की