देश हमारा है
व्यंग ये सच्चा करारा है
देश का हाल उतारा है
हमने भार दुसरे पे डारा है
तभी देश ऐसा हमारा है
नेताओं को भ्रष्टाचार प्यारा है
जनता तो लाचार बेचारा है
भाषन में देश महान हमारा है
नारीऔं पे अत्याचार नज़रा है
व्यभिचार का न कोई किनारा है
आतंकवाद ने डेरा डारा है
न्यायपालिका अंधा-बहरा है
रक्षक है भक्षक,उनका सहारा है
बड़ा विचित्र देश हमारा है
धर्म के नाम बंटवारा है
कुसंकस्कार को स्वीकारा है
रिश्तों को निभाना नहीं गवारा है
आधुनिक नंगापन प्यारा है
सब से बड़ा गणतंत्र हमारा है
बुलंद आवाज़ पर पहेरा है
जाति-वाद ने बेमौत मारा है
क्रिकेट में पैसों का वारा-नारा है
शहीद के घर अंधियारा है
लाख बुरा फ़िर भी देश प्यारा है
पूर्वजों ने इसे सजाया संवारा है
अब बारी हमारी,भार हमारा है
सजन