देश- विरोधी तत्व
साँप-सपोलों की तरह, देश विरोधी लोग।
करो शीघ्र उपचार कुछ, खतरनाक यह रोग।।
खत्म जड़ों से कीजिये,देश विरोधी तत्व।
धर्म जाति के नाम पर, मिटा रहे अपनत्व।।
देश विरोधी तत्व से, घायल है कश्मीर।
केशर घाटी जल रही,हालत है गंभीर।।
देश विरोधी तत्व से, हर पल रहे सतर्क।
धरा स्वर्ग की जो रही, बना दिया है नर्क।।
गंगा जमुना प्यार की, बहती थी हर द्वार।
देश विरोधी तत्व ने,खींच दिया दीवार।।
देश विरोधी तत्व का, नहीं धर्म ईमान।
दंगा,भ्रष्टाचार से,भरत लहूलुहान।।
देश विरोधी तत्व का,रहा यही व्यापार।
फैलाये चारो तरफ, घोर घना अँधियार।।
देश विरोधी तत्व है,सदा स्वार्थ का धाम।
जनमानस को लूटते,साधे अपना काम।।
देश विरोधी तत्व को, जड़ से करो समाप्त।
तभी मिलेगी देश को, खुशियों की सौगात।।
-लक्ष्मी सिंह