“देश मेरा दिव्य पावन धाम है”
>> देश मेरा दिव्य पावन धाम है
>> गूंजता हर ओर इसका नाम है
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>> जन यहाँ के हैं सरल मन भाव के
>> देखते कण कण में सीताराम है
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>> गाय भी माता हमारी, पूज्य है
>> नाग की पूजा यहाँ पर आम है
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>> मंदिर कहीं मस्जिद कहीं चर्च दिखे
>> सर्व धर्म यहाँ ,भाव का आवाम है
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>> है अनोखी रीति सच्ची प्रीति की
>> हर गली में एक राधा श्याम है
>> शांत सुमधुर है यहाँ वातावरण
>> ईश भी करते यहीं विश्राम है
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>> देश की पहचान परहित भावना
>> है नहीं दुख शोक या संग्राम है
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>> मानती दुनिया हमारा हौंसला
>> अतिथि देवो भव हमारा काम है
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>> प्राकृतिक सौंदर्य का है राष्ट्र ये
>> छवि बङी सुंदर बङी अभिराम है
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>> भारती हैं हम,हमारा भाग्य है
>> प्यार बदले प्यार ये ही दाम है
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अंकिता कुलश्रेष्ठ आगरा