देश भक्ति
मेरे प्यारे हिंद गगन में फैली है मेरी भक्ति
भारत माँ के आशीष से बाहों में जागी शक्ति ।
कुछ करना है तो कांटो की राहपर आगे बढे,
भारत माँ शक्ति के आगे सब हो नतमस्तक खड़े।
मेरे देश का तिरंगा उड़ते परिंदे से बवाल हो ,,,
हर देशवासी की छाती में देशभक्ति का उबाल हो ।
मेरी भारत माँ की माटी में मेरा मन मस्ताना हो
सोंधी सोंधी खुशबू से मेरा ह्रदय देश भक्ति में परवाना हो ।
आंतकियो को मार गिराने का होशला हर बच्चे में बुलन्द जगाना हो ।
तभी मेरी भारत माँ के पैर में छुपे कांटे को निकाला हो ।
जकड़ी जंजीरो से भारत माँ के मस्तक पर आँतकवादियो के लहु से तिलक लगाना हो ।
चीर फाडके दुश्मन गद्दार देशों को समुद्र में जाके डुबाना हो ।
अगर दुश्मन देश आंख दिखाए तो उसकी आंखों में धूल चटाना हो ,,
वीर शहीदों के परिवार के सामने ही दुश्मनों को फांसी के फंदे पर लटकाना हो ।
यही मेरी देश भक्ति में मेरा मन हिंदुस्तानी हो ,,
पताका के रंग रंग में मेरा दिल हिंदुस्थानी हो ।
✍✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कविता
सुरक्षित काफिराइट कविता
दिनांक 14 /052018
मोबाईल नंबर 9165996865