देश-प्रेम व्यक्तिगत योगदान.
लेख:-
हकीकत लय तोड़कर ही जान सकते हैं ।।
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क्या आपकी रसोई दाल भात प्याज टमाटर
रसोई-गैस सही चल रही है.
क्या बिन रोजगार बिन व्यवसाय आपकी पहुंच के दायरे में हैं.
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क्या हो गया मोटर-कार को पट्रोल-डीजल को आसमान छूते हुये.
इंसान को भी असमय बिन बुलाये ऊपर पहुंचने को मजबूर करते हुये.
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भक्त अब भी सुविधा के गीत गा रहे है.
मुखिया आज भी विदेशी सचिवों को न्यौता देने और आभार पाने में लगे हैं ।
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जनता को रसोई और व्यवसायिक सुविधा एवं रोजगार चाहिये. पूंजीपतियों को सड़क स्वास्थ्य सुविधा चाहिये हम तो आज भी काष्ठ-औषधि और काढ़ा पीकर ठीक होते है.
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हमें तो रोजी और रोटी चाहिये.
इसी में वंदेमातरम् दिखता है.
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जो जल चुका है पर ध्यान जाया करने की बजाय.
जो जलने वाला है उसे भी बचाया जाये.
भारतवर्ष एक विकसित देश होगा.
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विशेष:-कुछ चालक लोग. जाति धर्म रीति परंपरा पाखंड पर राजनीतिक तौर-तरीकों और दलबदल कर मौकापरस्ती से देश-समाज को बाँटने व खोखला कर रहे है.
हमारे वोट के मुद्दे मूलभूत होने चाहिये.
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एक तरफ स्वदेशी प्रचार.
एक तरफ विदेशी न्योते.
आम जनता समझ नहीं पाती.
Dr Mahender