देश-प्रेम का पहला लक्षण.
दोस्तों
हम सिद्ध क्या करना चाहते है.
अतीत के.
इतिहास से.
अतीत के इतिहास से प्राप्त तथ्य अनुभव से वर्तमान सुखद सहज सरल होना चाहिये
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होता विपरीत है.
जो महापुरुष हुये है.
उनकी देशनाओ से मानव-जगत को नई ऊंचाई मिलनी चाहिये.
उलट मानवता गर्त में गिर रही है.
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जरा सोचो.
क्या ऐसे में हम भारतीय
संविदा के अनुरूप सभ्यता, संस्कृति मानवीय-मूल्यों का सरोकार ताज के हकदार हैं ।।
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मेरा उत्तर नहीं में है ?
क्योंकि उनमें हम महापुरुष नहीं
जाति वर्ण सम्प्रदाय खोजते है ।।
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हम जिन मूल कारणों की वजह से
इतने लम्बे समय गुलाम रहे हैं ।।
“बाँटों और राज करों”
आज भी समाजिक स्तर पर गहराईयों में मौजूद हैं ।।
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देश प्रेम का पहला लक्षण.
सामाजिक स्तर पर काम करना.
जितनी भी इस स्तर पर शिकायत हैं दूर करना.
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लेखक:-डॉ महेंद्र
“जीवन एक अभिव्यक्ति”