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9 Jul 2019 · 1 min read

देश को समझें अपना

कुंडलिया
अपना यह संदेश तुम, फैला दो हर ओर।
दीप जलाओ ज्ञान का, थाम़ प्रेम की डोर।।
थाम़ प्रेम की डोर, प्रीत पथ कदम बढ़ाना ।
आये खाली हाथ, सभी को खाली जाना ।।
कह “अरशद” कविराय, देखते हम यह सपना।
मिल जुल रहिए साथ , देश को समझें अपना।।
@ अरशद रसूल

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