देश को समझें अपना
कुंडलिया
अपना यह संदेश तुम, फैला दो हर ओर।
दीप जलाओ ज्ञान का, थाम़ प्रेम की डोर।।
थाम़ प्रेम की डोर, प्रीत पथ कदम बढ़ाना ।
आये खाली हाथ, सभी को खाली जाना ।।
कह “अरशद” कविराय, देखते हम यह सपना।
मिल जुल रहिए साथ , देश को समझें अपना।।
@ अरशद रसूल