देश के हित मयकशी करना जरूरी है।
गज़ल
2122……2122…..2122…..2
देश के हित मयकशी करना जरूरी है।
अब खजाना देश का भरना जरूरी है।
आदमी पी पी मरेगा है यही जन्नत,
हर जगह दारू का अब बिकना जरूरी है।
शक्ति देवी काली का जब रूप है नारी,
पत्नी के चरणों में फिर झुकना जरूरी है।
करते अय्याशी लुटाते देश का पैसा,
अड्डे अय्याशी के अब खुलना जरूरी है।
हो गया व्यापार ठप सब तेल कंघे का,
गंजों के सिर बाल भी उगना जरूरी है।
ऊब जाओ रोज के खाने से जब भी तुम,
मोमो पिज्जा पास्ता चखना जरूरी है।
आंखों से जब वार हो दिल पर कोई प्रेमी,
दर्द तब इंसान को सहना जरूरी है।
………✍️ प्रेमी