देश की हिन्दी
** गीतिका **
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राष्ट्र भाषा है हमारे देश की हिंदी।
बढ़ रही है पग पसारे देश की हिंदी।
सब दिलों में खूब ऊंचा स्थान है इसका।
प्यार से सबको निहारे देश की हिंदी।
पीढ़ियां इसको बढ़ाए जा रही आगे।
रूप यौवन को निखारे देश की हिंदी।
ज्ञान के विज्ञान के आयाम नित नूतन।
छू रही है आज सारे देश की हिंदी।
साधनारत शारदे मां की मधुर पावन।
आरती हर दिन उतारे देश की हिंदी।
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** कुण्डलिया **
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खूब चमकता जा रहा, हिन्दी का आदित्य।
और आलोकित कर रहा, राह प्रगति की नित्य।
राह प्रगति की नित्य, ज्ञान का दीप जलाता।
राष्ट्रप्रेम का भाव, हृदय में सहज जगाता।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, देश में बढ़ी सजगता।
हिन्दी का सौभाग्य, जा रहा खूब चमकता।
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** मुक्तक **
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अभिव्यक्ति नभ पर खूब उड़ती जा रही है।
हर क्षेत्र में निर्बाध बढ़ती जा रही है।
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा श्रेष्ठतम यह।
मां भारती को धन्य करती जा रही है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १५/०९/ २०२३