देश की संसद मोन है- मोदीजी
कवि का नाम-
सुदामा पांडेय धूमिल
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है,न रोटी खाता है
वह सिर्फ रोटी से खेलता है।
मैं पूछता हूँ-
यह तीसरा आदमी कौन है?
मेरे देश की संसद मौन है।