देश की खातिर लुटाए जो जवानी।
धन्य है जीवन उसी का प्रेरणा उसकी कहानी,
देश की खातिर लुटाए जो जवानी।
जो सतत आगे बढ़े
आगे बढ़े बढ़ कर लड़े
सिंह सी कर गर्जना
रिपु भाल पर बढ़ कर चढ़े
एक कर में ध्वज पताका,
मातृ भू की जो निशानी
धन्य है जीवन उसी का प्रेरणा उसकी कहानी,
देश की खातिर लुटाए जो जवानी।
जयगान बनी जिनकी गाथा
भुजदंडो से युग थर्राता,
जिनके प्रताप के पौरुष से
गर्वित होती भारत माता
उनके ही साहस सम्बल से
है माता की चूनर धानी
धन्य है जीवन उसी का प्रेरणा उसकी कहानी
देश की खातिर लुटाए जो जवानी।
वो रूके नहीं वो झुके नहीं
बढते ही रहे स्वाभिमानी
सर्वस्व निछावर कर अपना
वो वीर चले फिर बलिदानी
याद रखें सब आज उन्हें
उनकी वो प्रेरक कुर्बानी
धन्य है जीवन उसी का प्रेरणा उसकी कहानी
देश की खातिर लुटाए जो जवानी।
अनुराग दीक्षित