Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2024 · 5 min read

*”देश की आत्मा है हिंदी”*

“देश की आत्मा है हिंदी”
हिंदी भाषा अधिकतर राज्यों में लिखी जाने वाली भाषा में से एक है हम जिस परिवेश में जन्म लेते हैं उसी संस्कृति की धरोहर की परिचायक मानी जाती है जिन भाषाओं को ग्रहण करते हैं उन्हीं भाषाओं को स्वतः ही जल्दी से सीख जातें हैं हिंदी भाषा की समझ मस्तिष्क में होने वाली क्रियाशीलता व दिलचस्पी की प्रतिक्रियाओं को दर्शाता है हिन्दी भाषा में लीन रहते हैं। जन्म लेने के कुछ दिनों बाद ही हम अपनी मातृभाषा का उच्चारण करने लगते हैं स्कूल जाने के बाद लिखना भी सीख जातें है हिंदी भाषा का प्रयोग लिखने पढ़ने में महत्व समझते हुए लोकप्रियता बढ़ने लगती है उसे जल्दी ही स्वतः सीख जाते हैं धीरे धीरे आदतों में शामिल हो जाती है।
किसी भी भाषा को सीखते समय जो दिमाग पर चल रहा होता है वही अध्ययन करते हुए मानस पटल पर छाप छोड़ देती है फिर नियमों सिद्धांतो पर ध्यान देने की उतनी जरूरत नहीं पड़ती है उदाहरण – हम ठीक तरीके से गढ़े जा रहे हैं उन वाक्यों या शब्दों के अर्थ निकालने एवं समझने के लिए वाक्यों को पूरा करने में समर्थ है तो हिंदी भाषा व वाक्यों को लिखने में इस्तेमाल कर रहे होते हैं।
प्रत्येक भाषा को नियमबद्ध तरीकों के तहत अभ्यर्थी व्यवस्थित रूप से अभिव्यक्तियों के अंर्तगत श्रृंखलाओं में क्रमबद्ध तरीके से जमाया जाता है उसके बाद ही एक निश्चित व्याख्या करके लयबद्ध तरीकों से जोड़ा जाता है।
हिंदी भाषा विचारों मनोभावों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है हर मनुष्य अपने विचारों को सुख दुःख को शब्दों के माध्यम से ही एक दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाता है सुनकर ,बोलकर या लिखकर भाषा से जुड़ाव रखता है। मानव का मूल आधार भाषा ही है जो प्रगति के पथ पर ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में निहित रहता है हिंदी भाषा की प्रगति सभ्यताओं व संस्कृति के विकास पर टिका हुआ है और श्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिकाओं उपन्यासकारों अन्य गतिविधियों में दोहराती रहती है। हिंदी पैतृक गुणों में ही निहित है पुरानी परंपरा से मनुष्य के हावभाव व आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सुरक्षित रखते हुए जो आने वाली पीढ़ियों को रूपांतरित कर दी जाती है।
हिंदी भाषा को लिखने में विवरणात्मक तथ्य सामने आता है जिसे समझा नही जा सकता है वाक्य किस तरह से अपना अर्थ निकालती है और फिर आवाज बनती है फिर एक दूसरे के साथ में तारतम्य बैठाते हुए सुनते हैं समझते हैं अंत मे लिखते हैं। नियम और सिद्धांत तो हर कोई जानता है लेकिन अभी तक कुछ स्त्रोत्र पर अनजान क्यों बना हुआ है ..??
लंदन में पढ़ने वाले इंग्लिश ही लिखेंगे हिंदी भाषा नही ये सवाल ही नही उठता और वे वास्तविक स्थिति में हमारी चेतना तक पहुँच नही पाते अगर हम अपने भीतर झांक कर देखें तो पता चलता है कि यह संस्कृति के परिचायक धोतक है।
हिंदी भाषा के द्वारा हम विचारों का आदान प्रदान करते हैं लेकिन हमारी जुड़ी भावनाओं को परिलक्षित कर स्वतंत्र नागरिक होने का फर्ज अदा करते हैं मानसिकता के प्रति संघर्षों को हिंदी भाषा को परिवर्तित कर स्वछंद भाव से हम एक साथ किसी महोत्सव में जुड़कर हिस्सा बन जायें तो हिंदी भाषा के गूढ़ रहस्यों को उजागर कर सकते हैं वर्तमान स्थिति में ज्वलंत मुद्दों पर खरे उतरने की पहल कर सकते हैं।
हिंदी भाषा के प्रति संवेदनशीलता जागृत कर हिंदी भाषा की महत्ता को समूचे विश्व में उनके महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है हम जिस भाषा को बचपन से सीखते चले आ रहे हैं उसे अपने परिवेश में संस्कृति में छाप छोड़ने के लिए प्रशिक्षण का परिणाम बहुत जरूरी है यह धारणा सहज रूप से ज्ञानबोध का हिस्सा बन जायेगी और जिस भाषा का प्रयोग लिखने में करते हैं वह भले ही मुश्किल क्यों ना लगे हम अपने परिवेश में इसका असर छोड़ते हैं।
उदाहरण – हमने हिंदी भाषा की ध्वनियों को नियमो के विरुद्ध क्रमों में पिरो दिया गया तो शब्दों को सुनिश्चित ढांचा तैयार कर उसका अर्थ विशिष्ट अर्थों में मतलब निकालते हैं और एक खास उच्चारण व्याकरणों से ज्ञान निर्धारित होता है यह चमत्कारिक देन है ज्यादातर लोग विचारों व भाषा को महत्व नही देते हैं।
किसी व्यक्ति के बातचीत के लहजे से भाषा को लिखने का तरीका समझ मे आता है हिंदी भाषा लिखने में सोहबत भलमनसाहत ,दृढ़ नैतिक शिक्षा की महक आ जाती है।
जीवन के हिस्से की बुनियादी ढांचा तैयार किया जाता है जिसकी वजह से हम आगे बढ़ने के लिए नवीन योजनाओं को बौद्धिक दृष्टिकोण से सृजनात्मक पहलुओं पर जटिल प्रक्रिया द्वारा निर्धारित कर सकते हैं।
हिंदी भाषा का ज्ञान अध्ययन के हिसाब से अपने समक्ष मान लेते हैं व्याकरणों या विशेष भाषाओं के द्वारा जानने का प्रयास किया जा सकता है जैविक विकास व मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण में भी फर्क देख सकते हैं।कोई मनुष्य अपनी भाषाओं को रूपांतरण कर अनुवांशिक घटक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है उन विचारों के द्वारा अजनबियों को हम अलग से समझा सकते हैं।
हिंदी भाषा हो या अन्य देशों की भाषाओं का अध्ययन ध्वनियों के माध्यम से जोड़ने का प्रयास करते हैं जो व्यवस्थित ढंग से जानकारियों द्वारा धीरे धीरे अपने जीवन में समाहित कर लेते हैं।
आम लोगों की धारणा होती है कि अन्य गतिविधियों की तरह से हिंदी भाषा को सीखी जानी वाली आदतों का संग्रह है यह उसी तरह लिखी जाती है जैसे छोटे बच्चों को अ ,आ ,ई ,उ चित्रों के माध्यम से दिखलाकर सिखाया जाता है हम किसी भी चीजों को बिल्कुल अलग तरह से देखना शुरू कर दिया है
प्रत्येक भाषाओं को सुव्यस्थित ढंग से अभिव्यक्ति के माध्यम से विचारों में दिमाग मे जोड़ने की क्षमता रखता है यही विचार भाषाओं के द्वारा मानवीय संवेदनाओं में जीवन के एकत्व होकर समरूप दृष्टिकोण बनाकर पेश किया जाय लेकिन यह अनुवांशिक जड़ों से भी है जो परम्पराओं से जुड़ी चली आ रही मान्यताओं पर आधारित है।
हिंदी भाषा का ज्ञान विशालकाय भंडार है जो साहित्यिक भाषा के साथ उच्च श्रेणी में रचनाओं को प्रकाशित करता है जैसे – कबीर ,तुलदीदास, मीरा बाई ,कवियों का उदाहरण है जो हिंदी के साहित्यिक भाषा की जड़ को गहरा प्रभाव छोड़ती है ।
राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने के लिए हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा माना गया है यही सरलता व साहित्यिक जगत में भावों को प्रगट करने के लिए सामर्थ्य है और सभी गुणों अनिवार्य रूप से हिंदी भाषा में मौजूद है।
आज देश के कोने कोने में बोली एवं लिखी जानी वाली भाषा हिंदी ही है किसी भी परिस्थिति में कहीं भी चले जाने पर अपनी मातृभाषा को छोड़ना नहीं चाहिए देश कोई भी हो संस्कृति में धनी हो परन्तु अपनी संस्कृति अमूल्य धरोहर के क्षेत्र में अव्वल है हमारे देश मे हिंदी भाषा का समावेश हर क्षेत्र में ही नही वरन पूरे विश्व में भी हिंदी भाषा लिखने की आजादी है और हमें गर्व महसूस होता है ।
आज संवैधानिक रूप से हिंदी राजभाषा है जो अधिकतर देशों में बोली और लिखी जानी वाली भाषा है हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा व जनभाषा के सोपान को पार करते हुए विश्वभाषा बनाने की ओर अग्रसर है।
हिंदी भाषा का विकास के क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिंदी भाषा प्रेमियों के लिए उत्साहजनक है आने वाले समय में विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय महत्व की चंद भाषाएं ही होंगी जिसमें हिंदी भाषाओं की प्रमुखता मानी जाती है।
हिंदी का विकास अभियान अनेक संस्थानों द्वारा चलाया जा रहा है जो महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हमारे देश के लिए नवीन कार्यप्रणाली परिकल्पनाओं की उड़ान भरने के लिए सार्थक प्रयास सराहनीय कदम उठाया जा रहा है ।
हिंदी राष्ट्रभाषा है इस पर हम सभी को गौरान्वित महसूस होता है ।

शशिकला व्यास शिल्पी✍️

1 Like · 1 Comment · 166 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कर सत्य की खोज
कर सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
पीछे मुड़कर
पीछे मुड़कर
Davina Amar Thakral
सफलता और असफलता के बीच आत्मछवि- रविकेश झा
सफलता और असफलता के बीच आत्मछवि- रविकेश झा
Ravikesh Jha
#आदरांजलि-
#आदरांजलि-
*प्रणय*
न चिंता आज की करों न कल की।
न चिंता आज की करों न कल की।
Rj Anand Prajapati
एक किताब खोलो
एक किताब खोलो
Dheerja Sharma
4689.*पूर्णिका*
4689.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उसे भुलाने के सभी,
उसे भुलाने के सभी,
sushil sarna
हवेली का दर्द
हवेली का दर्द
Atul "Krishn"
मन में उतर कर मन से उतर गए
मन में उतर कर मन से उतर गए
ruby kumari
*
*"सिद्धिदात्री माँ"*
Shashi kala vyas
माँ सुहाग का रक्षक बाल 🙏
माँ सुहाग का रक्षक बाल 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
!!!! सब तरफ हरियाली!!!
!!!! सब तरफ हरियाली!!!
जगदीश लववंशी
आहों का अब असर देखेंगे।
आहों का अब असर देखेंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Soikeonhacai.live là cổng soi kèo và nhận định kèo bóng đá t
Soikeonhacai.live là cổng soi kèo và nhận định kèo bóng đá t
Soi Kèo Nhà Cái
जिंदगी का भरोसा कहां
जिंदगी का भरोसा कहां
Surinder blackpen
Believe in yourself because you have the power
Believe in yourself because you have the power
पूर्वार्थ
कैसे देखनी है...?!
कैसे देखनी है...?!
Srishty Bansal
बोलो क्या कहना है बोलो !!
बोलो क्या कहना है बोलो !!
Ramswaroop Dinkar
मन मेरा दर्पण
मन मेरा दर्पण
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
बंदगी करना हमने कब की छोड़ दी है रईस
बंदगी करना हमने कब की छोड़ दी है रईस
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पूर्ण शरद का चंद्रमा,  देख रहे सब लोग
पूर्ण शरद का चंद्रमा, देख रहे सब लोग
Dr Archana Gupta
"मुफलिसी"
Dr. Kishan tandon kranti
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
सीख गुलाब के फूल की
सीख गुलाब के फूल की
Mangilal 713
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
आखिर तेरे इस हाल का, असल कौन जिम्मेदार है…
आखिर तेरे इस हाल का, असल कौन जिम्मेदार है…
Anand Kumar
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
Ravi Prakash
Loading...