देश का विकास करो।
ना शब्दों की मर्यादा ना वाणी पर लगाम।
ऐसे देश के नेता है जो देते विवादित बयान।।
किसी ने दिल्ली को रेप कैपिटल बताया।
किसी ने मेक इन इंडिया को रेप इन इंडिया बनाया।।
खुशी के ही अभिलाषी जुमलेबाजी ही करेंगे।
धर्म और जाति के नाम पर आपस में लड़ेंगे।।
संसद में चिल्लाना इनकी महत्वकांक्षा है।
पद की लोलुपता इनकी मीमांसा है।।
चौथा स्तंभ ये मीडिया सच्चाई नहीं देखता है।
ये सरकार के दरबार पे अपना मस्तक टेकता है।।
किसानो और मजदूरों की ये आवाज नहीं उठाते।
बस ये नेता और अभिनेताओं की खबर है दिखाते।।
यहां अच्छे पत्रकार थे जो रह नहीं पाए।
सरकार की गुंडागर्दी सह नहीं पाए।।
यहां अच्छे पत्रकारों को रहना ही पड़ेगा।
इन सरकारों के खिलाफ सच कहना ही पड़ेगा।।
आपस में लड़ने की बजाए तुम देश का विकास करो।
जनता रूदन कर रही है ना देश का तुम नाश करो।।
कृष्ण धत्तरवाल