देश का लूलू
देश का लूलू
देश का लूलू ये बोला,
थाली बजाओ अब लैला…
रोगी लाये बाहर से भला…
जनता मरती ये है कला…..
वाह वाह ….और बजाओ ताली
राक्षस है जो देश का, उस को कहते कुरोगी
मानवता को मार दिया, हो गया बेसौधी……
जनता यू ही मरती जायेगी, हाथ जोड़ के माफी.
अपनी ही जनता पर फिर,मारी जायेगी लाठी…..
वाह वाह …..बजाओ ताली
अरे भाई वोट दिया फिर तुझे चुना,जनता की सुनो
पहले उसको खाने का , भाई इन्तजाम तो करो…
मानवता अब नंगी घुमी, कोई मानव तो बनो…..
रोग बाहर से लाकर भईया,देश मे ना भरो……
वाह वाह …..बजाओ ताली
देश के लूलू को यारो..पहले जनता अब मारो….
सभ्यता का सर्वनाश , प्रकृति मां को मारा है….
जनता मरती मर जाने दो
बस नौ मिनट लाईट बन्द रखो
वाह रे महाविद्वान ..जनता की अब सुद ले लो
नही कब सुधरोगे मानवता के दुश्मन
अब बारी तुमरी है…..
{ सद्कवि }
प्रेमदास वसु सुरेखा
प्रेमदास वसु सुरेखा