देश का बुरा हाल है||
हर किसी की ज़ुबाँ पर बस यही सवाल है
करने वाले कह रहे, देश का बुरा हाल है||
नेता जी की पार्टी मे फेका गया मटन पुलाव
जनता की थाली से आज रूठी हुई दाल है||
राशन के थैले का ख़ालीपन बढ़ने लगा
हर दिन हर पल हर कोई यहाँ बेहाल है||
पैसे ने अपनो को अपनो से दूर कर दिया
ग़रीबी मे छत के नीचे राजू और जमाल है||
आंशु बहा-बहा कर भी थकता कहाँ है वो
ये ग़रीब की अमीर आँखो का कमाल है||