“देश का अपमान अब और नहीं “
“राजनीती की लालच में तुमने ,
शर्म गवां दी इस हद तक !
की आये दिन तुम सब मिलकर ,
सरेआम उछलते हो सैनिक की इज्जत !
हर सैनिक की वीरगति को ,
करते हो तुम हरदिन अपमानित !
पाक के राग गाने वाले ,
इतिहास पलटकर देख तो लो !
काश्मीर तो है ही अपना ,
ये कान खोलकर सुन तो लो !
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ,
तुम ऐसा लाभ न लो !
भारत के टुकड़े कर दोगे ,
ऐसे सपने छोड़ ही दो !
खून खौल रहा हर भारतवासी का ,
तुम जैसे गद्दारों पर !
जिस धरती के कर्जदार हो ,
उसको गाली देते हो !
मेरी नजरों में तो तुम सब ,
फाँसी के ही लायक हो “!