देश आपका जिम्मेदारी आपकी
संविधान के दिए सभी अधिकार बताए जा रहें है।
यह विधान जिस देश का उसको छुपाए जा रहें है।।
व्यक्तिगत अधिकार को जो ऊंचा बताया जा रहा है।
कुछ इस तरह इस देश को नीचा दिखाया जा रहा है।।
गर करें नागरिक कर्तव्य की ये बातें तो न नेता बनेंगे।
बाटकर तुमको तुम्ही से, चोर पाखंडी सभी नेता बनेंगे।।
पड़ गई तुमको जो आदत मुफ्त की रोटी बोटी तोड़ने की।
समझ लो फिर हो गया आसान उनका देश को फोड़ने की।।
राजनीतिक दल जगाएंगे नहीं, जागना खुद तुमको पड़ेगा।
देश अपना है हमीं से देश है, बात यह समझना भी पड़ेगा ।।
देशवासी हो तो पूछो देश में अभीतक इतनी क्यों दुश्वारियां है।
है गरीबी, मुफलिसी क्यों, है अशिक्षा इतनी क्यों बीमारियां है।।
था प्रबंधन नहीं बस का तो, बांटने का खेल क्यों खेला गया।
भाषा मजहब जाति धर्म के नाम पर मजलूम ही ठेला गया।।
तुम फंसे हो माफियों के जाल में, बचलो वरना काट डालेंगे तुम्हे।
है ये मुगलों से भी ज़ालिम,देश छोड़ो बोटियों में बांट डालेंगे तुम्हें।।
स्व जगाना ही पड़ेगा, पेट छोड़ो देश खातिर त्याग लाना ही पड़ेगा। न करो स्वीकार सबको प्रेम से, कुछको संजय आंख दिखलाना पड़ेगा।।