देशप्रेम
देशप्रेम-
भावना के संग डाल गलबाहें
मिलता चौक चौराहे
चाय की दुकान में
नन्हें मुन्नों की मुस्कान में
रिक्शे वाले की लगन में
माताओ के कंगन में
ललनाओ की
चूड़ियों की खनखन में
सपूतों की धड़कन में
किसान के खेतों में
मजदूरों के आधे भरे पेटों में
नीरव रात्रि मे
चमकते जुगनू के प्रकाश में
सन्नाटे को चीरती
सीमा पर खड़े
सैनिकों की साँस में
देशप्रेम,बसता
वीरों की तलवार में
लेखनी की धार में
भाव प्रबल बन सतत
उजियारे,अँधियारों में
पर,आहत देशप्रेम
क्षुद्र स्वार्थ,अनाचारों से
हो जाता न्योछावर
सत्ता के गलियारों में
-©नवल किशोर सिंह