*देशप्रेम*
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
इस वतन से प्यार करना सीखिए !
ये चमन गुलज़ार करना सीखिए !
पाक की नापाक हरकत देखकर,
हौंसले अंगार करना सीखिए !
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फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
आसमां पर था वतन जो छा रहा !
आज उसको क्या हुआ ये जा रहा !
हरकते वो कायराना कर रहे ,
जाने’ क्यूँ है खौफ़ उनसे खा रहा !
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122 122 122 122
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
सलामत है’जिनसे वतन ये हमारा !
बिना उनके’होता नहीं है गुज़ारा !
सभी मुस्कुराते उन्हीं की बदौलत ,
न अपमान उनका हमें अब गवारा !
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1222 1222 1222 1222
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
दिलों में आदमी के जब बसा ईमान होता है !
वहीं पर राम है मिलता वहीं रहमान होता है !
शगुफ्ता सा वतन मेरा निराली शान को रखता ,
शहीदों की शहादत का यहाँ सम्मान होता है !
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धर्मेन्द्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
9034376051