देशप्रेम के भावों से है, मन को हमें सजाना।
देशप्रेम के भावों से है, मन को हमें सजाना।
अपनी माटी की खुशबू से, जीवन है महकाना ।।
भेदभाव आओ सब भूलें, सबको गले लगायें।
अपने अपने त्योहारों को, मिलकर सभी मनायें।
पाठ एकता का है मिलकर,पढ़ना और पढ़ाना ।।
देशप्रेम के भावों से है, मन को हमें सजाना ।।
अधिकारों की बात करें जब, फ़र्ज़ नहीं हम भूलें।
चढ़ा हुआ है मातृभूमि का, कर्ज़ नहीं हम भूलें।
लोकतंत्र का असली मतलब है सबको समझाना ।।
देशप्रेम के भावों से है, मन को हमें सजाना ।।
लिखी तिरंगे के रंगों में, अपनी पूर्ण कहानी ।
हमको सबसे प्यारी लगती, राष्ट्र गान की बानी ।
विश्व पताका बना इसे है, जग में मान बढाना
देशप्रेम के भावों से है, मन को हमें सजाना ।।
तीन राष्ट्रीय पर्व हमारे, जब जब भी हैं आते ।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, मिलकर सभी मनाते
प्यार देश से करना बच्चों, को भी है सिखलाना
देश प्रेम के भावों से है, मन को हमें सजाना।।
1-9-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद